गाजीपुर। लखनऊ में बुधवार की रात मऊ के युवक अजीत सिंह की हत्या को लेकर गाजीपुर के लोग भी सकते में हैं। अजीत की ससुराल गाजीपुर के ही शादियाबाद थाने के बसेवां गांव में है। फिर अजीत जब जरायम की दुनिया में सक्रिय था तब गाजीपुर के हम पेशेवरों से भी उसके गहरे ताल्लुकात बन गए थे। लिहाजा प्रायः उसका गाजीपुर आनाजान रहता था।
शायद यही वजह है कि अजीत सिंह की हत्या को लेकर अंडरवर्ल्ड से जुड़े गाजीपुर के लोगों में भी चर्चा हो रही है। उन लोगों की मानी जाए तो अजीत के लिए आजमगढ़ का कुख्यात माफिया ध्रुव सिंह उर्फ कुंटू सिंह ने ही `डेथ वारंट` जारी किया था। इस बात में इस लिए भी दम लगता है कि हत्या के बाद लखनऊ में दर्ज हुई एफआईआर में कुंटू सिंह और उसके लोग ही नामजद किए गए हैं।
वैसे अंडरवर्ल्ड में अजीत सिंह को शुरुआती पहचान कुंटू सिंह की वजह से ही मिली थी। एक जमाने में वह कुंटू सिंह का शॉर्प शूटर हुआ करता था। कुंटू सिंह के लिए उसने कई बड़े `ऑपरेशनों` को बखूबी अंजाम दिए। उसमें उसके दुस्साहस और रणनीति का मंटू सिंह एकदम से कायल हो गया। इतना कि कुंटू सिंह ने अपनी ओर से बतौर तोहफा अजीत की पत्नी रानू सिंह को मुहम्मदाबाद गोहना (मऊ) का ब्लाक प्रमुख बनवा दिया। यह बात साल 2010 की है। तब खुद अजीत सिंह जेल में था।
हालांकि यहीं से कुंटू सिंह और अजीत सिंह के संबंधों में खटास आनी शुरू हुई। कुछ माह बाद वह जमानत पर जेल से बाहर आया और राजनीति में रुचि लेने लगा। बल्कि जरायम की दुनिया से खुद को धीरे-धीरे अलग करने लगा और अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षा को परवान चढ़ाने में जुट गया। आर्थिक स्रोत के लिए प्रॉपर्टी तथा शराब के कारोबार में संभावनाएं तलाशने लगा। उधर अपने `चेले` में आए इस बदलाव से शातिर मिजाज कुंटू सिंह का माथा ठनका। वह अपने इस `हीरो` को किसी भी दशा में खोना नहीं चाहता था। पहले तो उसने अजीत को जरायम दुनिया के वसूल, भले-बुरे नतीजे का वास्ता देकर अपनी राह लौट आने के लिए समझाया लेकिन देर हो चुकी थी। अजीत राजनीति के नशे में डूब चुका था। वह एमपी-एमएलए बनने का ख्वाब तक देखने लगा था। उन ख्वाबों से वह खुद को कतई दूर नहीं करना चाहता था। कुंटू सिंह से मुलाकात तो दूर बात करना तक छोड़ दिया। तब शातिर दिमाग कुंटू सिंह ने अजीत का राजनीति से ही पत्ता काटने की योजना बनाई और उसकी ब्लाक प्रमुख पत्नी के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव की नोटिस डलवा दिया लेकिन उस बीच अजीत सिंह की बन चुकी राजनीतिक हैसियत को कुंटू सिंह शायद आंक नहीं पाया। अविश्वास प्रस्ताव की नोटिस टांय-टांय फीस हो गई।
अविश्वास प्रस्ताव गिरने से कुंटू सिंह की खूब किरिकरी हुई। वह एकदम से तिलमिला गया। अजीत को राजनीतिक, आर्थिक मोर्चे पर पटकनी देने की पूरी जुगत में लग गया। उधर कुंटू से बेपरवाह अजीत प्रॉपर्टी, शराब के कारोबार से दौलत और अपने मुहम्मदाबाद-गोहना इलाके की राजनीति में शोहरत के साथ आगे बढ़ने लगा। फिर राजनीति के मोर्चे पर कुंटू सिंह और अजीत सिंह में जोर आजमाइश की नौबत साल 2015 के पंचायत चुनाव में आई। मुहम्मदाबाद-गोहना ब्लाक प्रमुख का पद आरक्षित हो गया। कुंटू सिंह उस कुर्सी पर बैठाने के लिए अपने एक बंदे को मैदान में उतारा। उसके विरोध में अजीत ने अपनी घरेलू नौकरानी मनभावती राजभर को उम्मीदवार बनाया। फिर अपनी राजनीतिक ताकत के बल पर कुंटू सिंह के बंदे को बीडीसी सदस्य के चुनाव में ही हरवा कर मनभावती को निर्विरोध ब्लाक प्रमुख बनवा दिया।
…और दुश्मन के दुश्मन को दोस्त बनाने की नीति अपनाई
जाहिर है कि इतना सब कुछ होने पर अजीत को अपने पूर्व `आका` के पलटवार का अंदाजा था। शायद यही वजह रही कि बाहुबल के मोर्चे पर कुंटू सिंह को जवाब देने के लिए वह उसके जानी दुश्मनों से दोस्ती बनाने लगा। उसी क्रम में वह मऊ सदर के बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी से मेलजोल बढ़ाया। डेढ़ लाख के ईनामी बदमाश लालू यादव को भी अपने में मिला लिया। फिर सगड़ी आजमगढ़ के पूर्व विधायक सर्वेश सिंह सीपू की 2013 में हुई हत्या की विवेचना में सीबीआई का गवाह बन गया। उस हत्याकांड का कुंटू सिंह मुख्य अभियुक्त है। बताते हैं कि उस मामले में 11 जनवरी को उसकी गवाही भी होनी थी। खुद के खिलाफ अजीत की पेशबंदी से आजिज कुंटू सिंह ने पूर्व विधायक हत्याकांड में अजीत को हर हाल गवाही से रोकने के लिए उसकी मौत का परवाना जारी कर योजना के तहत अपने शॉर्प शूटरों को लखनऊ भेजा और अजीत का काम तमाम करवा दिया। कुंटू सिंह इन दिनों आजमगढ़ जेल में है।
जिला बदर था अजीत सिंह
पुलिस फाइल में दर्ज हिस्ट्रीशीटर अजीत सिंह को मऊ के डीएम ने गुंडा एक्ट के तहत जिला बदर किया था। बावजूद वह अपनी हत्या से ठीक तीन दिन पहले मुहम्मदाबाद गोहना इलाके में देखा गया था। अजीत उसी इलाके देवसीपुर गांव का रहने वाला था जबकि घटना में घायल उसका जिगरी दोस्त मोहर सिंह भी उसी इलाके के भदीड़ गांव का है। मोहर सिंह भी शॉर्प शूटर है और कभी अजीत सिंह के साथ कुंटू सिंह के लिए काम करता था लेकिन जब अजीत कुंटू सिंह से नाता तोड़ा तो मोहर सिंह भी कुंटू सिंह को छोड़ दिया। दोनों का परिवार लखनऊ के एक ही मकान में रहता है।