यूपी बोर्डः ‘कोरोना’ की मार कि सरकार का ‘डंडा’! घट गए नौवीं और 11वीं के छात्र

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    गाजीपुर (राहुल पांडेय)। यूपी बोर्ड में चालू सत्र में नौवीं और 11वीं कक्षा में छात्रों की संख्या घटी है। पिछले सत्र की तुलना में 37 हजार 400 छात्रों का पंजीकरण कम हुआ है। नकल माफिया के लिए बदनाम गाजीपुर का यह आंकड़ा आमजन के मन में हैरानी वाला सवाल पैदा कर सकता है लेकिन शिक्षक और विभागीय अधिकारियों के लिए यह अपेक्षित आंकड़ा है।

    पिछले सत्र में कुल एक लाख 74 हजार 300 छात्रों का पंजीकरण हुआ था। उसमें नौवीं के 90 हजार और 11वीं के 84 हजार 300 हजार छात्र शामिल थे जबकि इस सत्र में कुल पंजीकरण संख्या एक लाख 36 हजार 900 तक पहुंच पाई। वह भी तब जबकि बोर्ड ने इसके लिए पंजीकरण की समय सीमा तीन बार बढ़ाई। आखिरी समय सीमा बीते 30 अक्टूबर थी। इस सत्र में कक्षा नौ में 76 हजार और कक्षा 11 में 60 हजार 900 छात्र पंजीकृत हो पाए हैं।

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    मालूम हो कि देश के खासकर हिंदी भाषी प्रांतों के तो दूर नेपाल तक के छात्र यूपी बोर्ड की परीक्षा में बैठने के लिए छात्र गाजीपुर आते रहे हैं लेकिन ऐसा क्या कारण है कि कक्षा नौ और 11 में पंजीकृत छात्रों की संख्या बढ़ने के बजाय घट गई। इसके जवाब के लिए यह प्रतिनिधि पहले बजरिये फोन डीआईओएस ओमप्रकाश राय के यहां पहुंचा। उन्होंने इसके तीन प्रमुख कारण बताए। अव्वल यह कि प्रदेश सरकार की व्यवस्था के तहत गाजीपुर में नकल माफियाओं की कसती नकेल है। बताए कि इस साल बोर्ड की परीक्षा में नकल को लेकर सख्ती का ही नतीजा रहा कि हजारों छात्रों ने परीक्षा छोड़ी। काफी संख्या में प्रवासी छात्र पकड़े गए। कई कक्ष निरीक्षकों, परीक्षा केंद्र व्यवस्थापकों को जेल तक जाना पड़ा। नकल पर सख्ती का ही परिणाम रहा कि उत्तीर्ण छात्रों के प्रतिशत में अन्य जिलों के सापेक्ष गाजीपुर काफी नीचे आ गया। इस दशा में दूर तक यह संदेश पहुंच गया है कि गाजीपुर अब नकल के मामले में महफूज नहीं रहा। लिहाजा प्रवासी छात्र गाजीपुर में अपना नाम पंजीकृत कराने की जोखिम नहीं लेना चाहते। डीआईओएस कहते हैं कि छात्रों की पंजीकरण संख्या घटने का दूसरा कारण यह है कि नकल से बोर्ड परीक्षा में सफलता की उम्मीद लगाए खुद गाजीपुर के छात्र भी कहीं अन्यत्र से जुगाड़ लगाने को मजबूर हुए हैं और तीसरा कारण महामारी कोविड-19 है। एहतियातन मार्च में ही स्कूल बंद हो गए। महामारी की भयावहता को देखते हुए कई अभिभावकों ने अपनी संतानों की पढ़ाई पिछड़ने से ज्यादा अहमियत उनके जीवन की सुरक्षा को दी है।

    कमोवेश यही बात माध्यमिक शिक्षक संघ की प्रदेश कार्यसमिति सदस्य डॉ.दिनेश चौधरी भी कहते हैं। उनका कहना है कि बोर्ड परीक्षा में नकल रोकने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता का यह स्पष्ट परिणाम है। परीक्षा केंद्रों पर नकल रोकने के लिए सीसीटीवी कैमरे वगैरह के तकनीकी इंतजाम से नकल माफियाओं पर काफी हद तक अंकुश लगा है।

     

     

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