चोरी की बिजली कटी, अब जेनरेटर से काम

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    सुहवल। ताड़ीघाट-मऊ रेल खंड के विस्तारीकरण को लेकर चल रही परियोजना के तहत घाट स्टेशन के बगल में इस परियोजना के फेब्रिकेशन एवं निर्माण में लगी देश की अग्रणी पीएनडार इंफ्रा प्रोजेक्ट लिमिटेड का वर्कशाप बनाया गया था। मशीनों को चलाने के लिए संबंधित अधिकारियों द्वारा बिजली कनेक्शन लिया गया था। एक वर्ष पहले बिजली विभाग ने चोरी का आरोप लगाते हुए कनेक्शन काट दिया। नतीजा प्रतिदिन एक हजार लीटर डीजल जलाकर किसी तरह जेनरेटर के भरोसे काम चलाना पड़ रहा है।

    पीएनडार इंफ्रा प्रोजेक्ट लिमिटेड के जीएम अफरोज कापरा ने बताया कि पूर्व में आवश्यक लिखा-पढ़ी एवं कागजी कोरम पूरा करने के बाद नियमों का पालन करते हुए वैध बिजली कनेक्शन लिया गया। विभाग को पहले प्रति महीने करीब 10 लाख रुपए राजस्व के रूप में अदा करता था लेकिन विभाग ने बेवजह चोरी का आरोप लगाते हुए करीब एक वर्ष पहले कनेक्शन को काट दिया, जबकि पूर्व का करीब 40 लाख का बकाया पहले ही कंपनी द्वारा चुकाया जा चुका है। फिलहाल लाइन न होने से कंपनी डीजल चालित जेनरेटर से फेब्रिकेशन के काम में जुटी है। प्रतिदिन करीब एक हजार लीटर डीजल खर्च होता है। अंत में कंपनी ने उच्च न्यायालय की शरण ली। इस मामले में कंपनी की याचिका स्वीकार करते हुए प्रयागराज उच्च न्यायालय ने संबंधित विभाग एवं सरकार को 10 दिन में अपना पक्ष रखने का निर्देश दिया है। विद्युत विभाग एवं सरकार का इसी तरह असहयोग रहा तो यह परियोजना समय से पूरी हो सकेगी, इसमें संदेह है। उन्होंने कहा कि विद्युत विभाग का कंपनी के ऊपर कोई बकाया नहीं है। विद्युत चोरी का जो आरोप लगाया गया है, वह पूरी तरह से बेबुनियाद है। उधर, विद्युत वितरण खंड द्वितीय के अधिशासी अभियंता आदित्य पांडेय ने कहा कि घाट पर स्थित पीएनडार इंफ्रा प्रोजेक्ट लिमिटेड रेलवे की कंपनी को विद्युत चोरी करते हुए पाया गया था। इसलिए विभागीय कार्रवाई की गई है। फिलहाल अभी कोर्ट की तरफ से उनके पक्ष में कोई आदेश नहीं आया है। कंपनी को हर हाल में जुर्माना भरना होगा। बिजली चोरी करते हुए जो भी पाया जाएगा, उसके खिलाफ विभागीय कार्रवाई की जाएगी।

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